Thursday 25 April 2024

एक ऐसा मंदिर जहां माता सीता ने किया था तप, मांगा था यह वरदान...

कानपुर के बिरहाना रोड पे स्थित एक मंदिर है जिसका नाम है तपेश्वरी मंदिर। इस मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है। जो भक्त यहाँ पर सच्चे दिल से कुछ माँगता है माँ उसकी हर मनोकामना पूरी करती हैं। बताया जाता है कि यहाँ पर अखंड ज्योति जलाने से माता प्रसन्न होती है। आईए  जानते हैं इस मंदिर का इतिहास और उससे जुड़ी कई सारी मान्यताऐं :

इतिहास –

लोगों का कहना है कि वनवास से आने से बाद जब श्री राम ने धोबी की ताने भरी बातें सुन ली थीं तब माता सीता ने राम जी से उनका त्याग करने को कहा तब लक्षण जी ने माता सीता को वाल्मीकि के आश्रम के पास छोड़ दिया था, वहीं से माता सीता ने तप करने के लिए तपेश्वरी मंदिर का रुख किया और वहीं पर माँ भवानी को प्रसन्न करने के लिए उन्होंने तप करना शुरू किया और उनसे पुत्र की मांग की। यहां उनके तप से प्रसन्न होकर माता तपेश्वरी ने दर्शन दिया और यहीं पर माता की चार मूर्तियों की स्थापना भी है – कमला, विमला, सरस्वती और स्वयं माता सीता।

रहस्य –

इस मंदिर पर रहस्य आज भी बरकरार है। क्योंकि ये कोई भी नहीं जानता कि इन में से माता सीता की कौन सी मूर्ति है। कमला, विमला, सरस्वती ये तीन वो देवियाँ हैं जिन्होंने माता सीता के साथ तप किया था और वरदान प्राप्त किया था। इसीलिए सीता के साथ इन तीनों की भी मूर्ति यहाँ पर विराजमान है।

मान्यता –                                                                                

मान्यता है कि माता सीता ने पहले पुत्र प्राप्ति के लिए यहाँ तप किया था उसके बाद वाल्मीकि आश्रम में रहते हुए उन्होंने इसी मंदिर में आकर लव-कुश का मुंडन करवाया था। तभी से मान्यता है कि ज्यादातर लोग इसी मंदिर के पीछे अपने बच्चों का मुंडन करवाते हैं और कर्णछेदन भी करवाते हैं। साथ ही माता का आशीर्वाद लेकर बच्चों का कुशल मंगल मांगते हैं।

मंदिर जाने का रास्ता –

इस मंदिर में जाने के लिए आपको सबसे पहले अपने शहर के रेलवे स्टेशन से कानपुर सेंट्रल के लिए ट्रेन लीजिए चाहे तो आप अपनी गाड़ी से भी आ सकते हैं। उसके बाद आप बिरहाना रोड के लिए गाड़ी कीजिए और तपेश्वरी मंदिर के लिए बुक कीजिए उसके बाद आप यहां आकर माता के दर्शन कीजिए और खूब सारा आशीर्वाद मांगिए।


Wednesday 3 April 2024

मुम्बई की एक शाम - 1

शाम के वक़्त मरीन ड्राइव का नज़ारा ही कुछ अलग होता है न। सनसेट के वक़्त सूरज की लालिमा आसमान में बिखरी होती है और ऐसा लगता है जैसे सूरज और धरती का मिलन हो रहा हो। उस शाम मन थोड़ा उदास था तो सोचा समुद्र के किनारे ठंडी हवा के झोंके से मन हल्का कर लूँ। मेरे आस पास लोग हंसी ठहाके के साथ मस्ती कर रहे थे। तभी नज़र एक दोस्तों के ग्रुप पर पड़ी। हंसी ठहाकों के साथ वो लोग एक दूसरे को छेड़ रहे थे। उस ग्रुप में शायद एक कपल भी थे जिनको वो लोग तंग कर रहे थे। मेरी नज़र उनपर ही ठहर गयी थी।

मेरा मन परेशान था लेकिन क्यों? आखिर कमी ही क्या थी मेरे पास। इतनी केयरिंग फॅमिली थी, अच्छी नौकरी थी। सब के बीच मेरा नाम भी काफी था और डर भी। डर इसलिये क्योंकि मुझे काम के वक़्त कोई मस्ती मज़ाक पसन्द नहीं था। खैर जो भी था आज तो कुछ अलग ही दुनिया में ख़ो गयी थी मैं।

मुझे याद आ रहा था मेरा शहर, मेरी दुनिया, मेरे लोग। जिसे... जिसे उस एक हादसे ने मुझसे दूर कर दिया था। याद आ रहा था वो खौफनाक मंज़र जब उस आदमी ने मेरे वजूद को कुचलने की कोशिश की थी। कितनी मुश्किल से भागी थी मैं। भागते भागते न जाने कब इस दुनिया में आ गयी। जहाँ कोई मेरा होकर भी मेरा है ही नहीं। नहीं ऐसा नहीं है कि मैं इस शहर की अपना नहीं पाई हूँ या ये शहर मेरा नहीं है। हम दोनों ही अब एक दूसरे के हो चुके हैं। पर फिर भी कुछ खाली खाली सा है।

तभी हंसी की आवाज़ से मैं फिर चौंकी और अपनी सोच से बाहर आ गयी। "रीना तुम्हें मुम्बई आये इतने साल हो गए। और पिछले 2 साल से हम लिव इन में हैं तो क्या अब हमें कुछ सोचना नहीं चाहिए? तुम्हें नहीं लगता अब हमें अपने पेरेंट्स से हमारे बारे में बात करनी चाहिए?" उन दोस्तों के ग्रुप में बैठे कपल ने कहा। उनकी ये बात सुनकर मुझे शिरीन की याद आ गयी।

हाँ वही शीरीन जो मेरे साथ कॉलेज में था जिसके पीछे पूरा कॉलेज पागल था और वो पगला मेरे पीछे। मुझे भी उसका साथ पसंद था। अक्सर ही हम कॉलेज बँक करके मूवी शॉपिंग या घूमने जाते थे। नहीं नहीं हम दोनों अकेले नही जाते थे हमारे साथ हमारा पूरा ग्रुप होता था। जिसमें लगभग सभी कपल ही थे। सिर्फ हमें छोड़ कर। क्योंकि न तो कभी उसने अपने दिल की बात की न ही मैंने पहल की। आज अनायास ही उसकी याद आ गई। पता नहीं कहाँ होगा वो उसने शादी की होगी या नहीं।

उसने भी मुझे ऐसे ही शादी के लिए प्रपोज किया था और कहा था - काया मुझे तुमसे शादी करनी है। अपनी जिंदगी तुम्हारे साथ बितानी है, कई सारी memories बनानी है। बोलो करोगी तुम मुझसे शादी? बोलो न काया ? करोगी न ?

शीरीन... मुझे.. मुझे.. सोचने का वक़्त दो घर पर बात करने दो तब कुछ कह सकती हूँ। इतना कह कर मैं वहाँ से चली आई। उसके बाद क्या हुआ वो मैं याद भी नहीं करना चाहती। किस तरह से उस आदमी ने मेरे वजूद को खत्म किया वो भी याद नहीं करना चाहती मैं।

*मेरा फोन बज रहा है शायद।*

'हैलो मम्मा, कहाँ हो आप? मुझे बहुत डर लग रहा है जल्दी आ जाओ न। ' ये आवाज कियारा की थी मेरी 5 साल की बेटी की।

' क्यों बेटा क्या हुआ ? आरती आंटी चली गई क्या? '

' नहीं मम्मा , वो अभी हैं लेकिन लाइट चली गई है और मुझे डर लग रहा है जल्दी आओ न।। ’

' अच्छा ठीक है बेटा , तुम परेशान मत हो मैं आ रही हूँ। '

‘आंटी मम्मा आ रही है सब कुछ रेडी है न?’ कियारा ने कहा।

‘हाँ बेटा सब रेडी है आप जाओ जल्दी से रेडी हो जाओ। मैंने कपड़े निकाल के रख दिए हैं।’ आरती ने कहा।

दरअसल आज काया का जन्मदिन था जिसे वो कभी मनाना पसंद नहीं करती थी। लेकिन आज कियारा ने भी जिद पकड़ ली थी कि वो इस दिन को आज खास बना कर ही रहेगी। आखिर ये उसकी माँ का दिन था। इस दिन के लिए वो कई दिनों से तैयारियां कर रही थी। इसीलिए आज उनकी पसंद का खाना सजावट सब करी थी कियारा ने।

ये तो काया का हर साल का था वो अपने जन्मदिन के दिन हर बार मरीन ड्राइव या जुहू बीच जाकर बैठ जाती थी। कहती थी, सुकून है इन लहरों की आवाज में। शांति सी मिलती है इनको सुनकर। इसीलिए हर बार यहीं आकर बैठ जाती हूँ।

‘आज तो मम्मा खुश हो जाएंगी’, सोचते हुए कियारा तैयार होने चली गई।


पूरे घर को रेड small लाइट से सजा दिया था उसने। हर जगह दोनों की कई सारी फ़ोटोज़ निकलवा के छोटे छोटे से क्लिप्स से पिन कर दिया था। उसको यह idea facebook और गूगल करने पर आया था। उसने एक केक भी मँगवाया था जिस पर लिखा था ‘हैप्पी बर्थडे माई ब्यूटीफुल माँ।’ इनके किनारों पर उसने फूलों की पंखुड़ियाँ भी बिछाई थीं। पिछले न जाने कितने दिनों से वो इन सब की तैयारी कर रही थी।

गेट का दरवाजा खुलते ही काया ने अंदर एकदम अंधेरा पाया। उसने सोचा लगता है अब तक लाइट नहीं आई। फिर उसने कियारा को आवाज दी, ‘किया बेटा कहाँ है तू? देख तेरी माँ आ गई है।’

इसी के साथ कियारा ने पीछे से आकर लाइट ऑन कर दी साथ ही फैन भी जिस में से फूलों की बारिश काया पर होने लगी। एक बार को काया चौंक गई। और इसी के साथ सब एक साथ चिल्लाए ‘happy Birthday’।

कियारा ने फोन करके काया के ऑफिस और फ़्रेंड्स को भी बुला लिया था। जिस में उसके पुराने शहर के दोस्त भी शामिल थे। और उन्हीं में था शीरीन। जिसको देख कर काया हैरान रह गई। उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या कहे क्या बोले? लेकिन हिम्मत जुटा के बोल उठी, ‘किया ये सब क्या है और तुम मेरे पुराने दोस्तों को कैसे जानती हो?’

‘मम्मा मैंने आपके फोन में आपके दोस्तों की फोटो देखी थी और समझ गई थी कि आप आज भी इन लोगों को बहुत मिस करती हो तो मैंने चुपके से सिया मासी को फोन कर दिया और उनसे सबका नंबर लेकर आपको सप्राइज़ दे दिया। तो बताओ कैसा लगा मेरा सप्राइज़?’ एक आँख बंद करते हुए किया ने पूछा।

‘अरे अरे बस बस अब तुम बातें ही करते रहोगे या केक कट करके हमें भी बात करने का मौका दोगे?’ उन दोनों को बीच में ही रोकते हुए सिया बोली।

'हाँ हाँ मासी चलो हम लोग केक काटते हैं लेकिन मम्मा उसके पहले जाकर आप तैयार हो जाओ।' अपनी माँ को भेजते हुए कियारा ने कहा।

अब इसके आगे क्या हुआ ये जानने के लिए जुड़े रहिए मेरे ब्लॉग के साथ। 

Wednesday 20 March 2024

Ekadashi : जानिए क्यों जरूरी है एकादशी का व्रत?

सनातन धर्म में यूं तो हर व्रत का अपना महत्व है लेकिन एकादशी का विशेष स्थान है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है इसलिए एकादशी को हरि वासर या हरि का दिन भी कहा जाता है। हर महीने कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में दो एकादशी पड़ती हैं और इस व्रत को करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं व व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में एकादशी व्रत को करने का विशेष नियम बताए गए हैं। कहा जाता है कि इन नियमों का पालन सही से नहीं किया जाए तो व्रत का कोई फल नहीं मिलता है। एकादशी के दिन बताया जाता है कि तामसिक भोजन से परहेज रखना चाहिए और चावल नहीं खाना चाहिए। कहा जाता है कि इसे खाने से मन में अशुद्धता आती है।

इन सब से हटकर अगर धार्मिक मान्यता पर जाएँ तो कहा जाता है कि माँ शक्ति के क्रोध से बचने के लिए महर्षि मेधा ने धरती पर ही अपना शरीर त्याग दिया था और जिस दिन उन्होंने शरीर त्याग किया उस दिन एकदशी था और  जब महर्षि मेधा ने अपना शरीर त्याग किया तो वह चावल और जौ के रूप में धरती पर जन्म लिये। इसी कारण चावल और जौ को जीव के रूप में माना जाता है। एकादशी के दिन इनका सेवन करना यानी महर्षि मेधा के खून और रक्त का सेवन करने के बराबर है।

एकादशी के दिन चावल न खाने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी छिपा है। इसके अनुसारचावल में अधिक मात्रा में पानी पाया जाता है। ऐसे में पानी में चंद्रमा का प्रभाव अधिक होता है और चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है। जब व्यक्ति एकादशी के दिन चावल का सेवन करता हैतो उसके शरीर में अधिक मात्रा में पानी हो जाता है। ऐसे में उसका मन चंचल और विचलित होने लगता है। ऐसे में उसे अपना व्रत पूर्ण करने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

एकादशी व्रत करने की इच्छा रखने वाले मनुष्य को दशमी के दिन से कुछ अनिवार्य नियमों का पालन करना पड़ेगा। इस दिन मांस, कांदा (प्याज), मसूर की दाल आदि का निषेध वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। रात्रि को पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए तथा भोग-विलास से दूर रहना चाहिए।

एकादशी के दिन प्रात: लकड़ी का दातुन न करें, नींबू, जामुन व आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ सुथरा कर लें, वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी ‍वर्जित है। अत: स्वयं गिरा हुआ पत्ता लेकर सेवन करें। यदि यह सम्भव न हो तो पानी से बारह बार कुल्ले कर लें। फिर स्नानादि कर मंदिर में जाकर गीता पाठ करें व पुरोहितजी से गीता पाठ का श्रवण करें। प्रभु के सामने इस प्रकार प्रण करना चाहिए कि 'आज मैं चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्यों से बात नहीं करूँगा और न ही किसी का मन दुखाऊँगा। रात्रि को जागरण कर कीर्तन करूँगा।'

'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' इस द्वादश मन्त्र का जाप करें। राम, कृष्ण, नारायण आदि विष्णु के सहस्रनाम को कण्ठ का भूषण बनाएँ। भगवान विष्णु का स्मरण कर प्रार्थना करें कि- हे त्रिलोकीनाथ! मेरी लाज आपके हाथ है, अत: मुझे इस प्रण को पूरा करने की शक्ति प्रदान करना।

इस दिन यथा‍शक्ति दान करना चाहिए। किन्तु स्वयं किसी का दिया हुआ अन्न आदि कदापि ग्रहण न करें। दशमी के साथ मिली हुई एकादशी वृद्ध मानी जाती है। वैष्णवों को योग्य द्वादशी मिली हुई एकादशी का व्रत करना चाहिए। त्रयोदशी आने से पूर्व व्रत का पारण करें।

फलाहारी को गाजर, शलजम, गोभी, पालक, कुलफा का साग इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए। केला, आम, दाख (अंगूर), बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करें। प्रत्येक वस्तु प्रभु को भोग लगाकर तथा तुलसीदल छोड़कर ग्रहण करना चाहिए। द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को मिष्ठान्न, दक्षिणा देना चाहिए। क्रोध नहीं करते हुए मधुर वचन बोलने चाहिए।


Thursday 7 March 2024

तुम्हारा खत - 2

प्यारी विशाखा,

तुम्हारा खत मिला मुझे। मैं भी यहाँ कुशल से हूँ। अब तुम सोचोगी कि मरे हुए इंसान को खत कैसे मिल सकता है। तो अरे पगली, तुम्हारे दिल में चलने वाली धड़कन हूँ मैं। तुम सांस भी लेती हो न तो पता चल जाता है मुझे। 

अच्छा ये सब छोड़ो और ये बताओ क्या कह रही थी तुम कि जमुना काकी रिश्ता लेकर आई हैं तुम्हारे लिए? विशु हाँ कर दो न इस शादी के लिए। क्या पता वो लड़का मुझसे भी बेहतर हो और मुझसे भी ज्यादा खुश रखे तुम्हे। और फिर मैं दे ही क्या पाया तुम्हें, सिवाय आंसुओं के। अभी एक नई नवेली दुल्हन ही तो थी तुम और देखो अब ये सफेद चोला दे दिया है तुम्हें। हंसने खाने की उम्र में आंसुओं और जिम्मेदारियों की बोरी दे दी है तुम्हें। 

प्रिय, उसको हाँ बोल दो क्या पता कल को वो तुम्हें पूरी दुनिया की सैर करवाए, और तुम्हें अपनी पलकों पर बैठा कर रखे।। और रही बात छोटे शौर्य की या छोटी विशाखा की तो मुझे पता है वो लड़का इस बच्चे को भी अपना लेगा क्योंकि वो होगा ही इतना प्यारा। 

मुझे हमेशा तुम लोगों की फिक्र होगी इसीलिए बोल रहा हूँ कर लो शादी और बना लो अपनी दूसरी दुनिया। घर की जिम्मेदारी तो दूर रह कर भी निभाई जा सकती है। बाकी तुम चिंता मत करो। मैं हूँ न।। 


तुम्हारा और सिर्फ तुम्हारा ,

शौर्य 


इस खत का पहला पार्ट पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें.. 

https://anupriyaagrahari3333.blogspot.com/2020/05/blog-post.html

Friday 23 February 2024

आखिर शमशान से आकर नहाने का आखिर क्या है कारण??


कहते हैं कि इस दुनिया में कुछ भी अजर अमर नहीं है, जो आया है उसे जाना ही पड़ता है फिर चाहे वो कितना ही प्यारा और कीमती क्यों न हो। मनुष्य की जीवन शैली इसी पर निर्धारित है। अगर वो दुनिया में आया है तो उसे जाना ही होगा फिर चाहे वो कितना ही बलवान क्यों न हो।


लेकिन क्या आप जानते हैं मनुष्य जब अपना शरीर त्याग करता है उसके बाद उसके घर वालों को कई तरीके से खुद को हाइजीन रखना पड़ता है। हमारे सनातन धर्म में मान्यता है कि यदि आप किसी के अच्छे काम में नहीं जाते हैं तो कोई बात नहीं लेकिन आप उसके अंतिम समय में जरूर जाईए, इससे आपके शरीर की जो नकारात्मक क्रिया होगी वो भस्म हो जाएगी और आप शांति का अनुभव करेंगे। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं, ऐसा हमारे ऋषि मुनियों का कहना है, उनके अनुसार जब कोई मनुष्य मरता है तब उसकी चिता के पास खड़े व्यक्ति के अंदर की सारी नकारात्मक ऊर्जा जल कर भस्म हो जाती है क्योंकि उस वक्त मंगल और शनि गृह प्रभाव रूप से तेज रहते हैं।


चलिए ये तो था धार्मिक कारण, अब जानते हैं शमशान से लौट कर नहाने का वैज्ञानिक कारण। वैज्ञानिकों का कहना है कि जब किसी मनुष्य की मृत्यु होती है तब उसके अंदर से कई तरह के विषाणु का बहाव होता है जिसकी वजह से जीवित मनुष्य बीमार पड़ सकता है। यही वजह है कि मृत व्यक्ति के कान और नाक में रुई लगा दी जाती है जिससे बैकटीरिया उसके शरीर से बाहर न जाने पाए। लेकिन फिर भी कई तरीके से बैक्टीरिया उसके शरीर से बाहर निकल जाता है और जीवित मनुष्य को हानि पहुंचाता है। इसीलिए कहा जाता है कि शमशान से आने के बाद तुरंत स्नान करें।


Wednesday 21 February 2024

......आखिर क्यों होती है पुरुषों की महिला से पहले मृत्यु...

गरुण पुराण एक ऐसा पुराण है जिसके अंतर्गत मनुष्यों के पाप पुण्य का पूरा लेखा-जोखा समाहित होता है। इस पुराण में मनुष्य के हर कर्म को लेकर भी एक एक सजा का वर्णन है। इस पुराण में मनुष्य के जनम से लेकर मृत्यु के बाद तक के सफर का भी वर्णन है, साथ ही यह भी वर्णित है कि महिलाओं के किस गलती की वजह से उनके पति की पूर्व मृत्यु हो जाती है।

गरुण पुराण के अनुसार, यदि कोई महिला अपने पति की लंबी उम्र के लिए वट सावित्री या करवाचौथ का व्रत करती है लेकिन उसके नियमों का अच्छे से पालन नहीं करती है तो उसके पति की पूर्व मृत्यु हो जाती है। व्रत के दौरान अगर वो चुपके से कुछ खा लेती है या पानी भी पी लेती है और किसी को भनक तक नहीं लगने देती है तो ऐसे में उसके पति की युवावस्था में मृत्यु हो जाती है।

इस पुराण के अनुसार, यदि कोई महिला नियमानुसार सारे तीज-त्योहार करती है लेकिन अपने पति से हमेशा लड़ती है, उसको उल्टा सीधा बोलती है, उसको मारती पीटती है या अपने पति की बात- बात पर झूठी कसम खाती है तो भी उसके पति की युवाकाल में ही मृत्यु हो जाती है। क्योंकि पति को परमेश्वर का दर्जा दिया गया है और परमेश्वर से कलह करना मतलब पाप का भागीदार होना है।

गरुण पुराण के अनुसार, यदि कोई शादीशुदा महिला अपने पति के नाम का मंगलसूत्र निकाल देती है, पैर में पायल और बिछिया नहीं पहनती है, हाथ में चूड़ियां, और मांग में सिंदूर नहीं लगाती है तो ऐसे में उसके पति की मृत्यु जल्दी हो जाती है।

इस पुराण के अनुसार, यदि कोई महिला मांस- मदिरा का सेवन करती है, हर समय मन में गलत विचार लाती है, गलत काम करती है पराए मर्दों की तरफ नजर रखती है, पराए मर्दों के साथ संबंध स्थापित करती हैं तो ऐसे में भी पति की पूर्व मृत्यु हो जाती है।

गरुण पुराण के अनुसार, यदि कोई महिला बृहस्पतिवार को बाल धोती है तो ऐसे में उसके पति और बच्चे की जान को खतरा हो जाता है। इस पुराण के अनुसार ऐसी स्थिति में महिला को जल्दी ही अपने पति और बच्चे के सुख से वंचित रहना पड़ता है।


Tuesday 20 February 2024

Green Peas : हरी मटर खाने के ये हैं फायदे, ऐसे कर सकते हैं स्टोर

अगर हरी मटर को सर्दियों में सब्जियों का राजा कहा जाए तो गलत नहीं होगा शायद। मटर को किसी भी अन्य सब्जी के साथ मिक्स करके खाने से सब्जी का स्वाद दोगुना हो जाता है। क्योंकि हरा मटर हर किसी का मनपसंद होता है लेकिन क्या आप जानते हैं हरे मटर से कई तरह के फायदे और नुकसान भी हो सकते हैं। हरे मटर से मोटापे में कमी भी देखी जाती है तो वहीं हरे मटर से शुगर लेवल भी हाई देखा जा सकता है। तो चलिए आज जानते हैं किस तरह से हरा मटर हमारे लिए किस तरह से उपयोगी हो सकता है :

बढ़ाए दिल की उम्र Green Peas

हरी मटर हमारे दिल को स्वस्थ रखने में भी मददगार होता है। यदि हम मटर का नियमित रूप से सेवन करते हैं तो यह दिल की उम्र को भी बढ़ाने में मददगार साबित होता है। मटर में कई तरह के पोशाक तत्व होते हैं जो हमारे दिल को सही रखने के लिए कई तरह के बीमारियों को दूर रखता है।

इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करे

हरी मटर हमारे शरीर के इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद करता है। इसके अंदर पर्याप्त मात्रा में मैग्नीशियम होता है, जो शरीर को चुस्त और तंदुरुस्त बनाता है।

कैंसर से भी बचाता है                                

हरी मटर कैंसर से भी बचाती है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है जो हमारे शरीर में बनने वाले कैंसर कारकों को जड़ से खत्म कर देता है। 

वजन घटाने में करता है मदद

हरी मटर वजन घटाने में मदद करती है। मटर में कैलोरी की मात्रा काफी कम होती है जिसकी वजह से यह वजन घटाने में काफी मददगार साबित होता है।

अर्थराइटिस में फायदा

सेलेनियम नाम के पोषक तत्व की वजह से अर्थराइटिस में काफी आराम मिलता है। हरी मटर की वजह से जोड़ों के दर्द में भी काफी आराम मिलता है। कई बार तो यह दर्द को जड़ से खत्म करने में भी मददगार हो जाता है।

हरी मटर (Green Peas) के इस्तेमाल का फायदा

पोषक तत्व प्रचूर में उपस्थित

हरी मटर में पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में मिलती है। इसमें विटामिन सी, विटामिन के, विटामिन ए, फोलेट, मैंगनीज और पोटेशियम पर्याप्त मात्रा में मिलता है।

फाइबर के गुण

हरी मटर में फाइबर के गुण भी पर्याप्त मात्रा में मिलता है। फाइबर कम भूख लगने में मदद करती है और मोटापे से बचाती है। जिसकी वजह से हरी मटर का सेवन पेट के लिए अच्छा उपाय माना गया है।

एंटीऑक्सीडेंट के गुण

मटर में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है। जो हमारे शरीर के लिए विटामिन सी और ए के लिए अच्छा स्रोत माना जाता है।



इस तरह से स्टोर कर गर्मियों में भी खा सकते हैं हरा मटर

अभी तक तो हम लोगों ने मटर के फायदे पढ़े। लेकिन अब हम आपको बताते हैं कि आप गर्मियों में भी मटर खाकर अपनी सेहत का ख्याल कैसे रख सकते हैं :

ग्लास कंटेनर

अगर आप मटर को फ्रीज़ में स्टोर करने का सोच रहे हैं इसके लिए आप ग्लास कंटेनर का इस्तेमाल कर सकते हैं। क्योंकि ग्लास कंटेनर में मटर के दाने वैसे ही रहते हैं जैसा आप स्टोर करते समय रखते हैं।

एयरटाइड डिब्बे का इस्तेमाल

आप चाहें तो एयरटाइड डिब्बे में भी मटर को स्टोर कर सकती हैं। ये चारों तरफ से बंद रहता है जिससे मटर में बाहरी हवा नहीं जाती और ये खराब या कड़वाहट से भरा भी नहीं होता है।

पन्नी का इस्तेमाल

अगर आप चाहें तो इसको पन्नी में भी स्टोर कर सकते हैं। इसमें भी यह खराब नहीं होता है और न ही कड़वाहट से भरा होता है। जिससे हम इसे आसानी से बाद में इस्तेमाल कर ले जाते हैं।

एक ऐसा मंदिर जहां माता सीता ने किया था तप, मांगा था यह वरदान...

कानपुर के बिरहाना रोड पे स्थित एक मंदिर है जिसका नाम है तपेश्वरी मंदिर। इस मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है। जो भक्त यहाँ पर सच्चे दिल ...

शायद ऐसा होता तो कितना अच्छा होता।